हम भारत के मजदूर,आखिर क्यों हैं इतने मजबूर?
चीन के हुबेई प्रान्त के वुहान शहर से शुरू हुए, कोरोना वायरस ने दुनियाभर में,जो तबाही मचा रखी है,इसका किसी ने जरा भी अनुमान नहीं लगाया था.आज भी दुनिया इस वायरस के सामने बेबस औऱ असहाय होकर खड़ी है.कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि 17 नवंबर को वुहान में पहला केस सामने आया था.दिसम्बर के आखिरी सप्ताह तक पूरी दुनिया को कोरोना वायरस बीमारी से जुड़ी हुई,विभिन्न खबरें मिल गई थी.धीरे-धीरे संक्रमण की चैन बनती गयी औऱ देखते ही देखते कोरोना वायरस बीमारी का वैश्वीकरण हो गया.विकसित राष्ट्रों औऱ यूरोपीय देशों को वायरस स्पेनिश फ्लू, द्वितीय विश्व युद्ध औऱ द ग्रेट रिसेशन/डिप्रेशन से ज्यादा तंग कर रहा है. भारत में पहला कोरोना वायरस केस 30 जनवरी को केरल में मिला था.उसी समय सरकार कड़ा रुख अपनाते हुए,अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को बंद कर देती या विदेशों से आने वाले लोगों को अलग-थलग रहने की व्यवस्था कर देती,तो शायद आज भारत में इतने ज्यादा केस नहीं होते.खैर.... 22 मार्च जनता कर्फ्यू के बाद,24 मार्च को घोषित पहले लॉक डाउन के समय भारत में कुल कोरोना केस की संख्या 546 थी.लॉक डाउन 0.1, 21 दिनों का था,