क्या केजरीवाल राजनीति सीख गए है?
क्या केजरीवाल राजनीति में सफल हो रहे हैं?
देश में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से चर्चा में आये अरविंद केजरीवाल कभी खुद कहा करते थे कि राजनीति बहुत गंदी चीज है.इसमें सुधार होना चाहिए, क्या कारण है कि कुर्सी पर बैठने वाला कोई भी नेता, कुर्सी से हटना ही नहीं चाहता?एक समय था जब केजरीवाल कहते थे कि हम(आंदोलनकारी) कभी राजनीति में नहीं आएंगे.इसे बाहर से ही ठीक करना होगा.
इतना सब कहने औऱ मानने वाले अरविंद केजरीवाल ने आखिर अपनी (AAP) पार्टी बनाई औऱ चुनावी मैदान में कूद गए. 2013 में जब पार्टी बनाई, तब केजरीवाल कहते थे, हम राजनीति को बदलने आए है। हम साफ-सुथरी राजनीति करेंगे।
2015 में जब आम आदमी पार्टी 67 सीटों के प्रचंड बहुमत के साथ जीतकर आयी, तो लोगों में एक नई उम्मीद जागी औऱ जनता की केजरीवाल से अपेक्षाएं बढ़ गयी।लेकिन देखते ही देखते केजरीवाल धीरे-धीरे बदलने लगे।
राजनीति में प्रत्येक पार्टी औऱ नेताओं का किसी एक ही विषय को लेकर अपना अलग मत हो सकता है.प्रारम्भ में केजरीवाल केंद्र सरकार के प्रत्येक फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया या विरोध बढ़-चढ़कर दर्ज कराते थे.जब सितम्बर 2016 में कश्मीर के उरी में आतंकी हमला हुआ औऱ सेना ने पाक अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक की तो केजरीवाल ने सबूत भी मांगे थे.लगातार केंद्र सरकार की आलोचना करके केजरीवाल समाचारों में बने रहते थे.थोड़े समय बाद केजरीवाल को शायद लगा कि यह सब उनके विपरीत जा सकता है, औऱ इसे समझते ही उन्होंने अपनी रणनीति में परिवर्तन भी किए. 2019 फरवरी में पुलवामा में हुए आतंकी हमले पर केजरीवाल ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम प्रधानमंत्री जी के साथ खड़े है, वो कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें.
लोकसभा चुनाव 2019 से लेकर दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 तक अरविंद केजरीवाल में बहुत से परिवर्तन देखे जा सकते है.केजरीवाल अब बोलने से बचने लगे थे. चुनाव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही थी। सभी पार्टियां चुनाव प्रचार में उत्तर चुकी थी लेकिन दिल्ली चुनाव के केंद्र में केवल केजरीवाल ही थे।
चुनाव प्रचार औऱ सभाओं में केजरीवाल पर कई अमानवीय टिप्पणियां भी हुई। लेकिन केजरीवाल ने बहुत सोच-समझकर औऱ रणनीति के साथ उनका जबाब दिया।चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा नेता प्रवेश वर्मा ने तो केजरीवाल को आतंकी भी बता दिया। इसके जबाब में केजरीवाल ने कहा मैं दिल्ली का बेटा हूँ। अब फैसला दिल्ली की जनता करेगी।गलत बयानबाजी का सही फायदा उठाना केजरीवाल अब सीख चुके है। कँहा बोलना औऱ कँहा नहीं ये समझने लगे है औऱ एक मंझे हुए राजनीतिज्ञ की तरह व्यवहार कर रहे हैं।
अपनी पूरी रणनीति में बदलाव करने का ही फल उन्हें इस चुनाव में मिला। 62 सीटें जीतकर तीसरी बार मुख्यमंत्री बनें।बहरहाल अभी केजरीवाल को बहुत लंबा सफर तय करना है, आगे क्या होगा यह तो समय आने पर ही पता चलेगा।
सचिन पारीक
IIMC,NEW DELHI
(फ़ाइल फ़ोटो)
देश में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से चर्चा में आये अरविंद केजरीवाल कभी खुद कहा करते थे कि राजनीति बहुत गंदी चीज है.इसमें सुधार होना चाहिए, क्या कारण है कि कुर्सी पर बैठने वाला कोई भी नेता, कुर्सी से हटना ही नहीं चाहता?एक समय था जब केजरीवाल कहते थे कि हम(आंदोलनकारी) कभी राजनीति में नहीं आएंगे.इसे बाहर से ही ठीक करना होगा.
इतना सब कहने औऱ मानने वाले अरविंद केजरीवाल ने आखिर अपनी (AAP) पार्टी बनाई औऱ चुनावी मैदान में कूद गए. 2013 में जब पार्टी बनाई, तब केजरीवाल कहते थे, हम राजनीति को बदलने आए है। हम साफ-सुथरी राजनीति करेंगे।
2015 में जब आम आदमी पार्टी 67 सीटों के प्रचंड बहुमत के साथ जीतकर आयी, तो लोगों में एक नई उम्मीद जागी औऱ जनता की केजरीवाल से अपेक्षाएं बढ़ गयी।लेकिन देखते ही देखते केजरीवाल धीरे-धीरे बदलने लगे।
राजनीति में प्रत्येक पार्टी औऱ नेताओं का किसी एक ही विषय को लेकर अपना अलग मत हो सकता है.प्रारम्भ में केजरीवाल केंद्र सरकार के प्रत्येक फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया या विरोध बढ़-चढ़कर दर्ज कराते थे.जब सितम्बर 2016 में कश्मीर के उरी में आतंकी हमला हुआ औऱ सेना ने पाक अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक की तो केजरीवाल ने सबूत भी मांगे थे.लगातार केंद्र सरकार की आलोचना करके केजरीवाल समाचारों में बने रहते थे.थोड़े समय बाद केजरीवाल को शायद लगा कि यह सब उनके विपरीत जा सकता है, औऱ इसे समझते ही उन्होंने अपनी रणनीति में परिवर्तन भी किए. 2019 फरवरी में पुलवामा में हुए आतंकी हमले पर केजरीवाल ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम प्रधानमंत्री जी के साथ खड़े है, वो कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें.
लोकसभा चुनाव 2019 से लेकर दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 तक अरविंद केजरीवाल में बहुत से परिवर्तन देखे जा सकते है.केजरीवाल अब बोलने से बचने लगे थे. चुनाव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही थी। सभी पार्टियां चुनाव प्रचार में उत्तर चुकी थी लेकिन दिल्ली चुनाव के केंद्र में केवल केजरीवाल ही थे।
चुनाव प्रचार औऱ सभाओं में केजरीवाल पर कई अमानवीय टिप्पणियां भी हुई। लेकिन केजरीवाल ने बहुत सोच-समझकर औऱ रणनीति के साथ उनका जबाब दिया।चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा नेता प्रवेश वर्मा ने तो केजरीवाल को आतंकी भी बता दिया। इसके जबाब में केजरीवाल ने कहा मैं दिल्ली का बेटा हूँ। अब फैसला दिल्ली की जनता करेगी।गलत बयानबाजी का सही फायदा उठाना केजरीवाल अब सीख चुके है। कँहा बोलना औऱ कँहा नहीं ये समझने लगे है औऱ एक मंझे हुए राजनीतिज्ञ की तरह व्यवहार कर रहे हैं।
(ECI, INDIA)
अपनी पूरी रणनीति में बदलाव करने का ही फल उन्हें इस चुनाव में मिला। 62 सीटें जीतकर तीसरी बार मुख्यमंत्री बनें।बहरहाल अभी केजरीवाल को बहुत लंबा सफर तय करना है, आगे क्या होगा यह तो समय आने पर ही पता चलेगा।
सचिन पारीक
IIMC,NEW DELHI
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