दिल्ली में केजरीवाल की जीत के मायने!
दिल्ली में केजरीवाल की जीत के मायने!
दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए 8 फरवरी को मतदान हुआ, जिसमें कुल 62.59 प्रतिशत मत पड़े। 11 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आए जिसमें आम आदमी पार्टी को 62 तथा भारतीय जनता पार्टी को 8 तथा कांग्रेस पार्टी को 0 सीट प्राप्त हुई।
दिल्ली चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही दिल्ली में चुनाव प्रचार तेजी से आगे बढ़ा। प्रारंभ में आम आदमी पार्टी ने जोर-शोर से चुनाव प्रचार किया और थोड़े समय बाद बीजेपी भी आक्रामक रूप में उतर आई। दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी का मुद्दा मुफ्त बिजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा औऱ महिलाओं की सुरक्षा,बुजुर्गों की तीर्थ यात्रा एवं साफ-सुथरी राजधानी का था। वंही भारतीय जनता पार्टी इन मुद्दों पर बात तो कर रही थी लेकिन साथ में वह शाहीन बाग़ को भुनाकर अपने पक्ष में माहौल बनाना चाह रही थी, जो कि बिल्कुल उल्टा पड़ गया। संभवत, यह पहला चुनाव था जिसमें किसी मुख्यमंत्री ने जनता के सामने आकर स्पष्ट तौर पर कहा कि अगर मैंने काम किया है, तो मुझे वोट देना नहीं तो नहीं। और इसी का परिणाम है कि दिल्ली की जनता ने अरविंद केजरीवाल के काम-काज और साफ-सुथरी छवि को देखते हुए उनकी झोली में 62 सीटें डाल दी.
इन विधानसभा चुनाव के प्रचार में आम आदमी पार्टी के सभी नेता सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करने से बचते रहे और चुनाव को दिल्ली के केंद्र में लाकर खड़ा कर दिया. दिल्ली का चुनाव है तो दिल्ली पर ही बात होगी ऐसा सभी आम आदमी के नेता कहते रहे. वहीं दूसरी और अमित शाह और भारतीय जनता पार्टी के नेता इस चुनाव में पाकिस्तान, शाहिनबाग, बिरयानी गोली मारो गद्दारों को, टुकड़े टुकड़े गैंग और अन्य कई प्रकार से चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश की.
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे देश की राजनीति को एक नई दिशा दे सकते हैं. इन चुनावों में काम के नाम पर वोट मांगे गए. जो इतिहास में पहली बार हुआ है. इन चुनावों में बीजेपी ने जमकर प्रचार किया. 200 सांसदों और गृहमंत्री, रक्षामंत्री तथा विभिन्न राज्यों में जहां बीजेपी की सरकार है, वहां के सभी नेता और कैबिनेट मंत्री दिल्ली में गली-गली घूमकर भारतीय जनता पार्टी के लिए वोट मांगते रहे,लेकिन नतीजे उसके उलट आए. इससे यह स्पष्ट है कि विधानसभा चुनाव में राष्ट्रवाद, पाकिस्तान और अन्य चीजें हावी नहीं होती. विधानसभा चुनाव में जनता के हित की बात करने वाली पार्टी जीतेगी. लोकसभा चुनाव 2019 से पहले और बाद हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों पर गौर करें तो 2018 में राजस्थान, मध्य प्रदेश औऱ छत्तीसगढ़ तथा लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और अब दिल्ली में लगातार भारतीय जनता पार्टी की हार यह दर्शाती है कि जनता को स्थानीय मुद्दे ही प्रभावित करते हैं औऱ उन्हीं के आधार पर वोट डाले जाते हैं।
अरविंद केजरीवाल के लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा विभिन्न प्रदेशों के मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्षों ने उन्हें ट्वीट कर बधाई दी है।
दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए 8 फरवरी को मतदान हुआ, जिसमें कुल 62.59 प्रतिशत मत पड़े। 11 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आए जिसमें आम आदमी पार्टी को 62 तथा भारतीय जनता पार्टी को 8 तथा कांग्रेस पार्टी को 0 सीट प्राप्त हुई।
दिल्ली चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही दिल्ली में चुनाव प्रचार तेजी से आगे बढ़ा। प्रारंभ में आम आदमी पार्टी ने जोर-शोर से चुनाव प्रचार किया और थोड़े समय बाद बीजेपी भी आक्रामक रूप में उतर आई। दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी का मुद्दा मुफ्त बिजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा औऱ महिलाओं की सुरक्षा,बुजुर्गों की तीर्थ यात्रा एवं साफ-सुथरी राजधानी का था। वंही भारतीय जनता पार्टी इन मुद्दों पर बात तो कर रही थी लेकिन साथ में वह शाहीन बाग़ को भुनाकर अपने पक्ष में माहौल बनाना चाह रही थी, जो कि बिल्कुल उल्टा पड़ गया। संभवत, यह पहला चुनाव था जिसमें किसी मुख्यमंत्री ने जनता के सामने आकर स्पष्ट तौर पर कहा कि अगर मैंने काम किया है, तो मुझे वोट देना नहीं तो नहीं। और इसी का परिणाम है कि दिल्ली की जनता ने अरविंद केजरीवाल के काम-काज और साफ-सुथरी छवि को देखते हुए उनकी झोली में 62 सीटें डाल दी.
इन विधानसभा चुनाव के प्रचार में आम आदमी पार्टी के सभी नेता सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करने से बचते रहे और चुनाव को दिल्ली के केंद्र में लाकर खड़ा कर दिया. दिल्ली का चुनाव है तो दिल्ली पर ही बात होगी ऐसा सभी आम आदमी के नेता कहते रहे. वहीं दूसरी और अमित शाह और भारतीय जनता पार्टी के नेता इस चुनाव में पाकिस्तान, शाहिनबाग, बिरयानी गोली मारो गद्दारों को, टुकड़े टुकड़े गैंग और अन्य कई प्रकार से चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश की.
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे देश की राजनीति को एक नई दिशा दे सकते हैं. इन चुनावों में काम के नाम पर वोट मांगे गए. जो इतिहास में पहली बार हुआ है. इन चुनावों में बीजेपी ने जमकर प्रचार किया. 200 सांसदों और गृहमंत्री, रक्षामंत्री तथा विभिन्न राज्यों में जहां बीजेपी की सरकार है, वहां के सभी नेता और कैबिनेट मंत्री दिल्ली में गली-गली घूमकर भारतीय जनता पार्टी के लिए वोट मांगते रहे,लेकिन नतीजे उसके उलट आए. इससे यह स्पष्ट है कि विधानसभा चुनाव में राष्ट्रवाद, पाकिस्तान और अन्य चीजें हावी नहीं होती. विधानसभा चुनाव में जनता के हित की बात करने वाली पार्टी जीतेगी. लोकसभा चुनाव 2019 से पहले और बाद हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों पर गौर करें तो 2018 में राजस्थान, मध्य प्रदेश औऱ छत्तीसगढ़ तथा लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और अब दिल्ली में लगातार भारतीय जनता पार्टी की हार यह दर्शाती है कि जनता को स्थानीय मुद्दे ही प्रभावित करते हैं औऱ उन्हीं के आधार पर वोट डाले जाते हैं।
अरविंद केजरीवाल के लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा विभिन्न प्रदेशों के मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्षों ने उन्हें ट्वीट कर बधाई दी है।
दिल्ली के इन विधानसभा चुनाव से साफ है की आने वाले बिहार और पश्चिम बंगाल चुनाव में स्थानीय मुद्दे हावी होने वाले हैं. राष्ट्रवाद के नाम पर जनता वोट देने को तैयार नहीं है. बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य औऱ खेती आदि मुद्दों पर ही जनता वोट डालेगी. अतः सभी राजनीतिक पार्टियों को इस चुनाव से यह समझ लेना चाहिए कि अब जो स्थानीय मुद्दों की राजनीति करेगा और जो झांसे नहीं देगा, वही सत्ता हासिल करेगा।
सचिन पारीक
IIMC, NEW DELHI
वेरी नाइस
ReplyDeleteवास्तविकता से ओतप्रोत,एकदम सटीक जानकारी
Superb
ReplyDeleteबेहतरीन ।। बधाई 💐💐
ReplyDeleteGoing in the right direction. Keep it up!
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