क्या भारत को अनलॉक करना, जल्दबाजी में लिया गया निर्णय है?
भारत में कोरोना वायरस का पहला केस 30 जनवरी को केरल में आया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जनवरी-फरवरी में दुनियाभर में कोरोना वायरस के केस मिलने पर, 11 मार्च को कोरोना वायरस को वैश्विक महामारी घोषित किया था. जिसे हम कोरोना वायरस/ SARS CoV-2 औऱ COVID-19 बीमारी के नाम से जानते हैं.
अभी दुनिया में कोरोना वायरस से सर्वाधिक प्रभावित देश USA (अमेरिका) है. विश्व तालिका में भारत भी छठे नंबर पर पहुंच चुका है. ब्राज़ील,रशिया,स्पेन औऱ यूके क्रमशः दूसरे,तीसरे,चौथे औऱ पांचवे नंबर पर है.
भारत सरकार ने इस महामारी के फैलाव को रोकने के लिए सम्पूर्ण देश में अलग-अलग रियायतों के साथ 4 लॉक डाउन लगाएं. जनता कर्फ्यू (22 मार्च), लॉक डाउन-1 (25 मार्च से 14 अप्रैल : 21 दिन), लॉक डाउन-2 (15 अप्रैल से 3 मई : 19 दिन), लॉक डाउन-3 (4 मई से 17 मई : 13 दिन), लॉक डाउन-4 (18 मई से 31 मई : 14 दिन) औऱ 1 जून से शुरू हुआ, अनलॉक 1 (जिसका मतलब है, लॉक डाउन से बाहर निकलना).
लेकिन इन 67 दिनों के लॉक डाउन में कोरोना वायरस के केस लगातार बढ़ते ही गए. जब 25 मार्च से पहला लॉक डाउन शुरू हुआ, उस समय भारत में कोरोना वायरस के मामले 546 थे और अब हम जब अनलॉक 1 की औऱ बढ़ रहें है, तो केस 2 लाख से अधिक हो चुके है. इसीलिए यह प्रश्न उठता है कि क्या भारत को अनलॉक करना,जल्दबाजी में लिया गया निर्णय है?
इस प्रश्न का उत्तर आंकड़ों के विश्लेषण के बाद आपकी जुबान पर होगा. आंकड़ों के विश्लेषण में, मैं तीन चीजों को शामिल करूँगा.
1. Cases/Peak
2.Testing Per Million
3.Economy Status
विश्वभर में कोरोना वायरस के केस 69 लाख औऱ मौतें 4 लाख से ज्यादा हो चुकी है.
भारत में कोरोना संक्रमण के मामले करीब ढाई लाख औऱ मौतें 7 हजार तक पहुंच गई हैं.
1. Cases,Peak,PerDay
भारत में लॉक डाउन की शुरुआत से ही प्रतिदिन केसेस में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. विश्व के अन्य देश स्पेन,यूके, फ्रांस,जर्मनी औऱ इटली के कोरोना वायरस केसेस के ग्राफों के अध्ययन में लॉक डाउन औऱ अनलॉक का एक विशेष पैटर्न देखने को मिलता है,जो भारत से पूर्णतया भिन्न है. इन देशों ने केसेस तेजी से बढ़ने पर लॉक डाउन किया, केस पीक पर पहुंचने के बाद, जब कर्व (ग्राफ) फ्लेटन (गिरने) होने लगा, तब अनलॉक के चरण की शुरुआत की. वंही भारत में इसका ठीक उल्टा हो रहा है, जब हमारे केस धीमी गति से बढ़ रहे थे, तब हम लॉक डाउन में थे औऱ अब जब केस तेजी से बढ़ रहें हैं तो हम अनलॉक की ओर बढ़ रहें हैं.
अभी भारत में रोजाना लगभग 10 हजार नए कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ रहें हैं, वंही रोज 250 से अधिक लोगों की मौत हो रही है. कल ही कई राज्यों महाराष्ट्र, कर्नाटक औऱ दिल्ली में एक दिन में सर्वाधिक केस मिले है,वंही कई दिनों तक जीरो केस आने वाले केरल में 111 नए केस सामने आए है. विशेषज्ञों ने इसे केरल में सेकंड वेव माना है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह स्वीकार किया है कि अभी कोरोना केसेस पीक (उच्चतम स्तर) पर नहीं पहुंचे है,यानी केसेस अभी तेजी से बढेंगे. वंही स्वास्थ्य मंत्रालय ने कम्युनिटी ट्रांसमिशन की बात को भी नकार दिया है. जबकि ICMR (इंडियन कॉउन्सिल फ़ॉर मेडिकल रिसर्च) के विशेषज्ञों ने कम्युनिटी ट्रांसमिशन की बात स्वीकारी है.
भारत में अब केसेस विभिन्न राज्यों के छोटे-छोटे गॉंवों में आ रहें हैं, जो अपने आप में एक चिंता का विषय है.इसी कारण भारत को अनलॉक करना,जल्दबाजी भरा निर्णय प्रतीत होता है.
वंही ट्रम्प का कहना है कि भारत और चीन टेस्ट बढ़ाएंगे,तो संक्रमितों की संख्या भी तेजी से बढ़ेगी.
2. Total Cases or Testing Per Million
प्रति 10 लाख टेस्ट में अमेरिका ने 62919 (कुल 2 करोड़),रशिया 84896 (कुल 1.23 करोड़),स्पेन 86920 (कुल 40 लाख),यूके 80143 (54 लाख), भारत 3384 (कुल टेस्ट 46 लाख) किए है.
आंकड़ों से जाहिर है,भारत में टेस्टिंग कम हुई है,भारत को अभी औऱ तेजी से टेस्टिंग बढ़ाने की जरूरत है. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार भारत में 8 मई से रोजाना 1 लाख से अधिक टेस्टिंग हो रही है. 5 जून को देश में 1 लाख 37 हजार लोगों की टेस्टिंग हुई,जो अब तक एक दिन में सर्वाधिक है.
3. इकॉनमी स्टेटस
भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस के आने से पहले ही मंदी की मार झेल रही है.तिमाही वृद्धि दर लगातार गिर रही है.हाल में जारी 2019-20 वित्तीय वर्ष की वृद्धि दर 4.2% रही है,जो 11 सालों के निम्नतम स्तर पर है.
विभिन्न अर्थशास्त्रियों का मानना है कि सरकार ने जो GDP के 10% के बराबर 20 लाख करोड़ रुपए का जो पैकेज घोषित किया है,वो वास्तव में 2 लाख करोड़ रुपए है और जीडीपी का मात्र 1% है.अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए बाजार में तरलता उपलब्ध होनी चाहिए, जो वर्तमान में बहुत कम है.
अभी लोगों के पास पैसे नहीं है,आजीविका पर खतरा मंडरा रहा है. जब लोगों के पास पैसा नहीं होगा,तो बाजार में मांग नहीं होगी,मांग नहीं होगी तो उत्पादन में गिरावट होगी और अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर गिरेगी.
CMIE के मुताबिक अप्रैल माह में 20 से 30 के मध्य उम्र वाले 27 मिलियन युवाओं की नोकरी चली गयी है. औऱ न जाने कितने ही लोग भुखमरी में आ गए है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत का 117 में से 102 वाँ स्थान है.
सच,कोरोना वायरस ने प्रत्येक व्यक्ति को बुरी तरह प्रभावित किया है.अब स्वास्थ्य जानकारों का कहना है कि हमें कोरोना वायरस के साथ जीने की आदत डाल लेनी चाहिए. डेंगू,मलेरिया,स्वाइन फ्लू औऱ HIV/AIDS जैसी बीमारियों की लिस्ट में एक नाम कोरोना वायरस औऱ जोड़ लेना चाहिए.
लेकिन प्रश्न वही है कि अनलॉक का निर्णय जल्दबाजी वाला है या नहीं? हम बखूबी जानते है कि लगातार लॉक डाउन से अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो रहा था. हम लंबे समय तक आर्थिक गतिविधियों को बंद नहीं रख सकते. लगातार तालाबंदी से नोकरियाँ जाने और भुखमरी बढ़ने का खतरा रहता है.
लेकिन भारत ने अर्थव्यवस्था औऱ जान बचाने में से जान को चुना था,औऱ लोगों की जान बचे इसीलिए लॉक डाउन लगाया था.लेकिन अब हम अनलॉक कर अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहे है,लेकिन लोगों की मौतें बढ़ रही हैं.
ऐसे में आप स्वयं अपना ध्यान रखें, इम्युनिटी बढ़ाये व सरकारी निर्देशों का पालन करें, जरूरी न हो तो बाहर न निकलें. सरकार ने आपको जागरूक कर दिया है,मास्क लगाए और बार-बार साबुन से हाथ धोते रहें.
अनलॉक का निर्णय सही है या गलत? फैसला आपको करना है.
सचिन पारीक
IIMC, NEW DELHI
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