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Showing posts from February, 2020

सवालों के घेरे में दिल्ली पुलिस!

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दिल्ली हिंसा और कटघरे में पुलिस (File photo) 24 और 25 फरवरी को उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा या यूं कहें कि सांप्रदायिक हिंसा को रोकने में दिल्ली पुलिस पूरी तरह से नाकाम हुई.अब लगातार विपक्ष और अन्य लोगों द्वारा दिल्ली पुलिस की भूमिका पर प्रश्न उठाए जा रहे हैं. लगातार एक ही प्रश्न बना हुआ है कि आखिर दिल्ली पुलिस हिंसा क्यों नहीं रोक सकी? यह पहला मौका नहीं है, जब दिल्ली पुलिस पर प्रश्न उठ रहे है इससे पहले भी कई मौकों पर दिल्ली पुलिस पर सवालिया निशान लग चुके हैं. गौरतलब है कि दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी औऱ जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में छात्रों के बीच हुए विभिन्न तनावों औऱ नागरिकता कानून के विरोध में हुई हिंसा पर भी दिल्ली पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में है. (File photo) 5 जनवरी 2020 को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में कुछ नकाबपोश गुंडों ने छात्र-छात्राओं के हॉस्टल में घुसकर मारपीट की. जिसके कई वीडियो सामने आए, जिसमें बाहर से आए लोग छात्रों के साथ मारपीट करते हुए दिखाई दे रहे हैं. जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष और छात्रों ने बताया कि पुलिस विश्वविद्या

क्या केजरीवाल राजनीति सीख गए है?

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क्या केजरीवाल राजनीति में सफल हो रहे हैं? (फ़ाइल फ़ोटो) देश में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से चर्चा में आये अरविंद केजरीवाल कभी खुद कहा करते थे कि राजनीति बहुत गंदी चीज है.इसमें सुधार होना चाहिए, क्या कारण है कि कुर्सी पर बैठने वाला कोई भी नेता, कुर्सी से हटना ही नहीं चाहता?एक समय था जब केजरीवाल कहते थे कि हम(आंदोलनकारी) कभी राजनीति में नहीं आएंगे.इसे बाहर से ही ठीक करना होगा. इतना सब कहने औऱ मानने वाले अरविंद केजरीवाल ने आखिर अपनी (AAP) पार्टी बनाई औऱ चुनावी मैदान में कूद गए. 2013 में जब पार्टी बनाई, तब केजरीवाल कहते थे, हम राजनीति को बदलने आए है। हम साफ-सुथरी राजनीति करेंगे। 2015 में जब आम आदमी पार्टी 67 सीटों के प्रचंड बहुमत के साथ जीतकर आयी, तो लोगों में एक नई उम्मीद जागी औऱ जनता की केजरीवाल से अपेक्षाएं बढ़ गयी।लेकिन देखते ही देखते केजरीवाल धीरे-धीरे बदलने लगे। राजनीति में प्रत्येक पार्टी औऱ नेताओं का किसी एक ही विषय को लेकर अपना अलग मत हो सकता है.प्रारम्भ में केजरीवाल केंद्र सरकार के प्रत्येक फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया या विरोध बढ़-चढ़कर दर्ज कराते थे.जब सितम्बर 2016

दिल्ली में केजरीवाल की जीत के मायने!

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दिल्ली में केजरीवाल की जीत के मायने! दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए 8 फरवरी को मतदान हुआ, जिसमें कुल 62.59 प्रतिशत मत पड़े। 11 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आए जिसमें आम आदमी पार्टी को 62 तथा भारतीय जनता पार्टी को 8 तथा कांग्रेस पार्टी को 0 सीट प्राप्त हुई। दिल्ली चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही दिल्ली में चुनाव प्रचार तेजी से आगे बढ़ा। प्रारंभ में आम आदमी पार्टी  ने जोर-शोर से चुनाव प्रचार किया और थोड़े समय बाद बीजेपी भी आक्रामक रूप में उतर आई। दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी का मुद्दा मुफ्त बिजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा  औऱ महिलाओं की सुरक्षा,बुजुर्गों की तीर्थ यात्रा एवं साफ-सुथरी राजधानी का था। वंही भारतीय जनता पार्टी इन मुद्दों पर बात तो कर रही थी लेकिन साथ में वह शाहीन बाग़ को भुनाकर अपने पक्ष में माहौल बनाना चाह रही थी, जो कि बिल्कुल उल्टा पड़ गया। संभवत, यह पहला चुनाव था जिसमें किसी मुख्यमंत्री ने जनता के सामने आकर स्पष्ट तौर पर कहा कि अगर मैंने काम किया है, तो मुझे वोट देना नहीं तो नहीं। और इसी का परिणाम है कि दिल्ली की जनता ने अरविंद केजरीवाल के काम-काज और साफ-

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव।

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                           राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव। कैलेंडर वर्ष के पहले या यूं कहें कि वित्तीय वर्ष के आखिरी संसद सत्र यानी कि बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति का दोनों सदनों के लिए (लोकसभा और राज्यसभा) संयुक्त अधिवेशन में अभिभाषण होता है. इसके तुरंत पश्चात आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है. बजट सत्र के दूसरे दिन यानी कि 1 फरवरी को आगामी वित्त वर्ष के लिए बजट प्रस्तुत किया जाता है. बजट में विभिन्न मंत्रालय एवं विभागों को 1 वर्ष के लिए राशि स्वीकृत की जाती है. (राष्ट्रपति-रामनाथ कोविंद)  बजट प्रस्तुत होने के बाद विभिन्न सांसद या सदन के सदस्य राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर आगे चर्चा करते हैं. धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय विस्तृत रूप से रखी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में कई मुद्दों पर विपक्ष पर करारा प्रहार किया. प्रधानमंत्री ने अपने सरकार की विभिन्न नीतियों और योजनाओं के बारे में पिछले 5 वर्षों में हुए बदलाव के बारे में अवगत कराया.  प्रधानमंत्री मोदी ने

नागरिकता संसोधन विधेयक 2019,(CAA)

                 नागरिकता संसोधन विधेयक 2019,(CAA) भारत सरकार के गृह मंत्री अमित शाह द्वारा संसद के शीतकालीन सत्र में 9 दिसंबर को नागरिकता संसोधन बिल, 2019 लोकसभा में पेश किया गया तथा इस बिल के विरोध में 80 व पक्ष में 311 वोट पड़े और ध्वनिमत से पारित हुआ। 11 दिसंबर को नागरिकता संसोधन बिल राज्यसभा में पेश किया तथा इस बिल के विरोध में 105 औऱ समर्थन में 125 वोट पड़े और बिल पास हो गया। 12 दिसंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के साथ ही यह बिल कानून के रूप में बदल गया। 10 जनवरी 2020 को भारत सरकार के गज़ट प्रकाशन की अधिसूचना से यह अमल में आ गया। * नागरिकता कानून के प्रावधान 1. भारत के पड़ोसी देश ( जो कभी अखण्ड भारत का हिस्सा थे ) पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 से पहले धर्म के आधार पर प्रताड़ित होकर आए हिन्दू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी औऱ ईसाई धर्म के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है। 2. भारत में पहले कोई व्यक्ति लगातार 11 वर्षों तक रहता था, तब उसे नागरिकता दी जाती थी, अब इसे 5 वर्ष कर दिया गया है। 3. पाकिस्तान, अफगानिस्तान औऱ बांग्लादेश तीनों देश म